वो क्या है ?

चार कन्धों पर चढ कर जाती वो फूलो से सजी अर्थी,
वो अर्थी की ज़ुबाने राम-नाम करती!
वो राम-नाम की गूँज,
वो रोती हुई आँखें!

एहसास है किसी के जाने का,
अकेले पड़ जाने का!
वो उदास झुके चेहरे,
वो शोक भरा घर का माहौल!

वो तस्वीर पर डली हुई माला,
वो जलता हुआ दीपक!
इक ज़रिया है अँखियों को भिगोने का,
जाने वाले की यादों मे खोने का!

वो लोगो का घर मे शोक करने के लिये आना जाना,
वो घर वालो का सुध-बुध खो बैठना!
वो घर के बाहर सफ़ेद टैन्ट लगना,
वो घर के पुरुषो का सिर मुन्ड़वाना!

अन्दाज है कुछ गलत न होके भी गलत जताने का,
संसार के नियम को समझाने का!
वो घर पर खाना बनना,
वो पंडितो का आना!
उन्हे दान देना,
उनकी सेवा करना!
रिवाज़ है किसी के जाने पर ये सब कार्य करने का,
परंपरा निभाने का!


तारीख: 14.06.2017                                    डॉक्टर कनिका वर्मा









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