आम है बौराया हुआ

आम है बौराया हुआ,
देखो वसंत है आया हुआ 
पीले- पीले फूल खिले हैं
भँवरे मस्ती में फूल गए हैं, 
मानव है अलसाया हुआ ..........

पागल है लल्लू प्रेयशी को कहीं बुलाने को,
सूखी नदी किनारे घंटों बतियाने को ,
पर किस्मत फूटी लल्लू की 
उसका साला है गुस्साया हुआ.........

अच्छा था प्रदेश में था,
अभी कल ही तो है आया हुआ.....
प्रेयसी जा रही सखी की शादी में, 
सड़क किनारे खींस निपोरे लल्लू है ललचाया हुआ 

ठान रहा है बारम्बार,
अबकी बार है मोदी सरकार,
बप्पा से करूँगा मन की बात,
मांगेगे वो ही इनका हाथ,
पर सब हो गया फिस्स 
यह है कैसी रगड़घिस,
लल्लू भाग रहा उबड़ खाबड़ में,
ये कौन है उसको दौड़ाया हुआ ?

अरे यह तो फादर ऑफ़ लल्लू है पगलाया हुआ....
अब का करिहैं लल्लू भैया ?

मारि मारि कै ढेला कुल आम कै बौर तोड़ डरि हैं,
प्रेयसी न पइहें तो कमसकम ससुर का नुक्सान तो पहुँचइ हैं,
और का ! बुरा कोई न मानेगा ,
फ़ागुन का महीना है, वसंत है आया हुआ ,
ऊपर से लल्लू है पगलाया हुआ।
वसंत है आया हुआ, भैया वसंत है आया हुआ।


तारीख: 29.06.2017                                    मनीष ओझा




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