भारत माँ के वीर सपूतों, नमन मेरा स्वीकार हो,
जयकार हो, जयकार हो-२
जब घर की चार दिवारी में हम गीत सुहाने गाते हैं,
तब लाज़ बचाने झंडे की, सीने पे गोली खाते हैं,
बस छोटी छोटी बातों पर हम लड़ते मरते रहते हैं,
वो लिपट तिरंगे में अपने, मर के भी अमर हो जाते हैं,
जब जाति, धर्म, परिवारों पे हम अलग अलग छट जाते हैं,
वो छोड़ बहन, बेटी और माँ, सरहद पे जा डट जाते हैं,
हम दंगा और आंदोलन कर, जब देश में आग लगाते है,
वो देश की आन बचाने को, हँसते हँसते मिट जाते हैं,
जय पवन, तुषार, हनुमनथप्पा, हम अपना शीश नवाते हैं,
अभिमान हो तुम भारत माँ का, हम गौरव गीत ये गाते हैं,
तुम तब भी थे, तुम अब भी हो, तुम सदा रहोगे हर दिल में,
इस मीट्टी में हो रमे हुए, मस्तक से इसे लगाते हैं,
भारत माँ के वीर सपूतों, नमन मेरा स्वीकार हो,
जयकार हो, जयकार हो-२