कोई कहे कुछ लिखो,
तब लिखना ,
चाँद की छत पर,
बड़े -बड़े शब्दों में,
प्रेम!
कहे कोई कुछ जला दो,
चुपके से जला देना ,
संसार से सारी नफरत,
मोआनालुआ ज्वालामुखी में।
कोई माँगें हँसी ग़र,
लुटा देना अपनी हँसी,
किसी रोते बच्चे पर।
कोई कहे बाँट दो,
बाँट देना,
अपने हिस्से की खुशियाँ,
प्रेमियों के लिए प्रेम,
बच्चे को ममता,
किसी कवि को कविता,
समन्दर को आँखों का नमक,
अग्नि में डाल देना ईर्ष्या,
और घृणा।
फिर भी पूछे कोई,
क्या शेष है?
कह देना प्रेम!
पूछे ग़र कौन हो तुम?
कह देना इक स्त्री,
इक माँ,
इक प्रेयसी,
और इक संतुष्टा!