जी रहें हैं वो गरीबों की हाय लेकर
जैसे खुश होता है बच्चा टॉय लेकर।
जानतें हैं नंगे आएं हैं नंगे ही जाएंगे
भला करेंगें क्या अकूत आय लेकर ।
ये तुम जो दिनरात जुगाड़ में लगे हो
क्या होगा ज़िंदगी भर उपाय लेकर ।
अमीरी-गरीबी हैं एक दूजे के पूरक
संबल का गुजारा है असहाय लेकर ।
शायद ज़िंदादिली इसी को कहते हैं
ज़िंदगी हरहाल जीए एन्जॉय लेकर ।