जब आप प्रेम में होते हैं

सूरज भी करता है प्रेम
अपनी किरणों से,
यद्यपि वह गोला है 'आग' का।
जबकि वो जंगल 'असभ्य' है,
करता है प्रेम-निवेदन
बसंती हवाओं से,
ठूँठ से दिखने वाले पेड़ भी
बतियाते हैं मीठी बातें
और रोते भी हैं,
अपने साथी को
गले न लगा पाने के दु:ख में।

जब आप प्रेम में होते हैं,
ब्रह्मांड का कण-कण
बँध जाता है
अदृश्य मानसिक सूत्रों से,
गुरुत्वाकर्षण की जगह
लागू होते हैं
प्रेम के नियम;
धरती-आकाश-चाँद-तारे
सूरज और ग्रहों के मध्य।
ताल-सरोवर-बूँदें-नदियाँ
सब चलते हैं दिन-रात
प्रणय की आकुलता लिये।

सरसों में खिलती हैं
मन की परतें
पीले रंग की आभा में,
प्रकृति सहेजती है
मुलाक़ातों की संजीदा स्मृतियाँ।
जब आप प्रेम में होते हैं,
केवल तभी जोड़ पाते हैं
स्वयं को,
पतझड़ के रूखेपन से भी,
केवल तब
समझते हैं आप;
पर्वत की अचल मजबूरी
और बादल की व्यग्रता को।
केवल तब
रची जा सकतीे हैं कविताएँ।

जब आप प्रेम करते हैं,
हो जाते हैं आप-
पहले से अधिक 'संवेदनशील'।
इसलिए मैं कहता हूं
'आदमी' का प्रेम में पड़ना
सृष्टि में,जीवन की
सबसे खूबसूरत संभावना है।।


तारीख: 03.04.2024                                    अंकित









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