कभी न देखे

कभी न देखे है ख़्वाब इतने
नकाब में ही नकाब इतने

थे जाने को जो शिताब इतने
है दर्द भी क्या बे हिसाब इतने

है दर्द के क्या सवाल तेरे
जो तन्हा तन्हा जवाब इतने

छुपी हुई तन्हाई है मेरी
है ज़िन्दगी में जो बाब इतने

है मेरे मुश्क़िल हालात तो क्या
है ज़िन्दके निसाब इतने

हुई ये रौशन ज़मीन दिल की
ज़मी में है जो गुलाब इतने

लकीर में क्या पता लिखा हो
है ज़िन्दगी में बद ख़्वाब इतने

यूँ ख़ौफ़-परवरदिगार दिल में
है आशियाँ में हिजाब इतने

ज़ुबाँ को शीरीं सा कर के देखो
ख़ुदा भी देगा सवाब इतने

 


तारीख: 22.02.2024                                    आकिब जावेद




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