कुत्तों और कउव्वों के भी बदले मिजाज

 बाबू राम लाल को कई दिनों से लग रहा था कि परिवार में कुछ ठीक नहीं चल रहा। आपस में अनबन रहती है। गुडड्ो 31 पार कर गई है। घर कोई आता नहीं। उसे कोई भाता नहीं। पुत्तर जी तीन साल से इंजीनियरिंग करे बैठे हैं, बस इंटरव्यू पर इंटरव्यू ही दिए जा रहे हैं। नौकरी दूर दूर तक नजर नहीं आ रही।  एक बिल्डर ने फलैट के लिए एडवांस लिए और गायब हो गया। पैट्र्ोल ने पैदल चलवा दिया है। प्याज ने रुला दिया है। अच्छे की बजाय बुरे दिन आ गए हैं।
         अपनी समस्याओं के समाधान के लिए वे विश्व प्रसिद्ध समाधानकर्ता लालू जी के पास पहुंचे जो हर इतवार को दरबार लगा कर ,दुनिया की किसी भी समस्या  का रेडीमेड हल देने का होलसेल स्टॉक रखने के लिए विश्व प्रसिद्ध थे। इधर समस्या किसी ने बताई उधर गूगल से भी फास्ट समाधान अगले के हाथ में ! काफी लोग उन्हें टोटका प्रसाद भी कहा करते थे। दरबार था तो दक्षिणा भी श्रद्धानुसार लाजमी थी। महिलाओं को वे सदा पुत्र का आशीर्वाद दे देते थे और आधों को प्रकृतिनुसार पुत्र हो जाता था। उनके घरवाले लालू जी का प्रताप समझ कर दक्षिणा या उपहार दे जाते। जिनके पुत्रियां होती उन्हें अगले साल के चौथे  इतवार दर्शन की सलाह उनके चेले दे डालते। बस गाड़ी चलती रही। दरबार सजते रहे। भक्तों ने लालू जी की वेबसाइट बना डाली। यू टयूब चैनल शुरु करवा दिया। दरबार का लाईव प्रसारण होने लगा। जाहिर हैं भक्तों की संख्या दिन दुगनी रात चौगुनी होने लगी।
        अब लालू जी को मिलना कोई आसान काम नहीं था।बाबूराम लाल ने सुबह सुबह वहां नंबर लगाया। सुबह के बैठे बैठे बैठे चार बजे नंबर आया। लालू जी त्रिकालदर्शी थे। इससे पहले कि वे कुछ बोलते , बाबू रामलाल का चौखटा देखते ही बता दिया- ‘घोर संकट से गुजर रहे हो। अर्श से फर्श पर आ गए हो। सड़क पर आ गए हो। करोड़पति से रोडपति हो गए हो। लखपति हो परंतु  पत्नी भी तुम्हें पति नहीं मानती।  जाओ आसान सा टोटका करो। कल्याण होगा। हर शनिवार अपने खाने में से एक भाग कुत्ते को, एक गाय को, एक कउव्वे को,कुछ चीटियों को , एक भिखारी को दिया करो।
         इतना सरल उपाय सुनकर बाबू रामलाल पछताने लगे कि यहां पहले टोकन क्यों नहीं लिया ! घर पहंुचते ही श्री मती जी को समझाया। शनिवार को सुबह सुबह बाबू रामलाल पंचग्रास लेकर उपाय करने निकल पड़े। सोचा पहले इन पांच प्राणियों को भोजन करवा दें ,उसके बाद ही अपना मंुह जूठा करेंगे।
        पहला नंबर कुत्तों का लगाया। कुत्ते वेैसे तो गली में से किसी को निकलने नहीं देते थे दूसरे कुत्तों को फटकने नहीं देते थे। लेकिन ऐसा लगा आज सारे के सारे , भूख हड़ताल पर हैं। दूर दूर तक कोई नजर ही नहीं आ रहा था। किसी से कुत्तों का पता पूछते पूछते एक वे एक नुक्कड़ पर पहुंचे जहां एक नहीं अपितु पांच पांच कुत्ते जी कूड़े के ढेर पर  हाई लेवल की कान्फ्रेंस कर रहे थे । उन्हें देख कर तसल्ली हुई कि अब मनोकामना पूरी होने में कुछ मिनट ही बाकी हैं। उन्होंने उनके आगे खीर ,पूरी, हलुवा , रायता आदि ऐसे सजा दिया जैसे श्राद्ध मे श्रद्धावश रखतेे हैं। लेकिन कूकुर बिरादरी ने खाना तो दूर ,उसे देखा तक नहीं और आराम फरमाने लगे। बाबू रामलाल ने उनसे भोजन ग्रहण करने की जेैसे ही मनुहार की तो एक श्वान महोदय गुस्से में आ गए औेर वे उनसे कटते कटते बचे। खाना वाना वहीं छोड़ कर जान बचाते हुए उल्टे पैर भागे।
       अब तलाश थी काग महाराज की। जहां सारा दिन कांव कांव की आवाजें आती थी वहां पूरा सन्नाटा पसरा हुआ था। लग रहा था श्राद्ध का सीजन समाप्त होने के बाद , सब रिलैक्स करने, किसी हॉलीडे टूर पर निकले   हुए हैं।   कुछ निराशा हुई। अब गाय ढूंढने की बारी थी। एक दिखी जो कूड़ा खा रही थी। बाबू रामलाल ने भोजन की डिस्पोजेबल प्लेट उसके सामने रखी। उसने आखें फाड़ कर आलू, पूरी, हलवे, खीर यहां तक सलाद पर भी नजर डाली और रिजैक्ट कर दिया।
       अगली तलाश भिखरियों के टोले की थी। मंदिर के आगे भिखारी जमे हुए थे। पहले तो वे ऐसा खाना देख कर टूट पड़ते थे और छीना झपटी मंे  कपड़े तक फाड़ डालते थे। लेकिन खाना देखते ही मंुह दूसरी तरफ फेर लिया।
सोचा चलो अब चीटियों को ही कुछ डाल दिया जाए ताकि किसी तरह टोटके पूरे हों। सारा मैदान छान मारा। हल्की बरसात ने बाबू रामलाल की इस आखरी उम्मीद पर भी पानी फेर दिया। सारी चीटियां जमीन के अंदर आराम फरमा रही थी। सीजन की पहली बरसात का आनंद अपनी अपनी बिलों में उठा रही थी।किसी ने गर्दन निकाल कर बाहर देखेने तक का कष्ट नहीं किया । बाबू रामलाल को याद आया- बिन मांगे मोती मिलें, मांगे मिल न भीख। यहां उल्टी गंगा बह रही थी। वे भीख देने दर दर भटक रहे थे औेर लेने वाले अपने अपने नखरों में थे।
     पहले शनिवार ही अपशकुन हो गया।सुबह से शाम हो गई । किसी अनिष्ट की आशंका बढ़ गई। पेट में चूहे अलग उधम मचा रहे थे। कोई उपाय नहीं हो पा रहा था।
सात शनिवार इसी ट्र्ायल में खराब हो गए।बाबू रामलाल ,सात  शनिवार , ट्र्ाई करने के बाद उन्हीं गुरु जी नुमा लालू जी के दरबार में टोकन लेकर चार घंटे बाद धक्के खाते पहुंचे । लालू जी जानी जान थे। चौखटा देखते हुए पूछने लगे- ‘भोजन में कया क्या रखा है ?’ बाबू रामलाल ने पिचकी छाती फुला कर बड़ी शान से बताया -’महाराज! देसी घी की पूरियां, ड्राई फू्रट से भरपूर खीर, मटर पनीर की सब्जी, कचूमर सलाद, रायता वगैरा ....।’ बाबू राम लाल ने ट्र्ेडिशनल मेनू एक्सप्लेन कर दिया।
लालू जी ने डांट लगाई- अरे मूर्ख! आज कल ये सब कोैन ग्रहण करता है? ये सब खा खा कर वेट 120 किलो हो चला है। शुगर, बी. पी  और कोलेस्ट्र्ोल मंहगाई की तरह बढ़ रहा है। आप केवल दक्षिणा ही रख दंे।
 ‘आजकल ऐसा भोजन हम तो क्या कुत्ते तक नहीं करते। तभी तो एक महीने से तुम्हारा कोई उपाय सफल नहीं हुआ। ऐसा मेनू रखोगे तो  अच्छे दिन इस जन्म तो कया अगले जन्म में भी नहीं आएंगे। आज के दिन अभी भी तुम घिसे पिटे सदियों पुराने मेन्यू से चिपके हुए हो। अपनी दृष्टि और दृष्टिकोण बदलो। जमाना बदल गया है। तुम नहीं बदले।’ बाबू राम लाल के ज्ञान चक्षु ओपन हो गए।
      अगले शनिवार बाबू राम लाल ने उपाय किया जो बड़ा सक्सेसफुल रहा। कउव्वे भी आए, कुत्ते भी आए, भिखारी भी टूट पड़े। गाय ने भी डबल खाया। लालू जी ने भी बड़े चाव से भोजन किया और मन से आशीर्वाद दिया।
इस बार बाबू रामलाल ने ट्रेडिशनल आयटम्स बदल दिए। ऑन द स्पॉट ,सबके स्वादानुसार , पिज्जा ,बर्गर,  केक ,कोल्ड ड्रिंक और हार्ड ड्रिंक्स , आइसक्रीम वगैरा वगैेरा का आर्डर दिया । कउव्वों और कुत्तों के लिए नॉन वेज आयटम्स आर्डर किए । सब ने बड़े चाव से सॉस लगा लगा कर खाया। कुत्ते पिज्जों पर पिल पड़े थे। कउव्वों ने बर्गरों का रैपर तक उधेड़ डाला। भिखारी बार बार पिज्जा उड़ाने के बाद कोल्ड ड्र्ंिक की फरमाईश करने लगे।  सब की अंर्तआत्माए पूरी तरह से तृप्त नजर आ रही थी।  सबने बाबू रामलाल   का उपाय सफल कर दिया।
    बाबू रामलाल अब अच्छे दिनों की आस में हर शनिवार यही फार्मूला अपना रहे हैं। कंपनियों ने उन्हें स्पेशल डिस्काउंट देना शुरु कर दिया है। कुछ ने उन्हें पिज्जा और बर्गर का  ब्रांड एम्बेस्डर बना दिया है। कुत्ते पहचानने लगे हैं। कउव्वे खुद आने लगे हैं। भिखारी शनिवार को सलाम करने उनके घर के आगे ही जमा हो जाते हैं। लालू महाराज जी पे टी एम पर वीकली शनिवारी दक्षिणा पाकर ऑनलाइन आशीर्वाद दे रहे हैं।
         बस ! अब देखना यह है कि किस शनिवार से उनके अच्छे दिन आने चालू होंगे ?


तारीख: 04.02.2024                                    मदन गुप्ता सपाटू









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है