मां बाप ना रहे, कुछ ना रहा
बचपन से जवानी का सफर याद आता है
हर गुजरती शाम, नई सिसकीयां थी
जब रोज़ मुझे मेरा 'माझी' याद आता है
पता नहीं मुझे,कहां गलतियां हुई
हश्र मेरा क्यों, बुरा हुआ जाता है
उलट गई अब जीवन की यह रीत
बाद में आया, पहले क्यों चला जाता है
रोक सकते थे, क्या जाने वालों को हम
प्रकृति के आगे क्यों विज्ञान हार जाता है
हस्ती कोई न थी मेरी, ना कोई पहचान थी
खुश हूं, अंगारों पे चलना मुझे आता है
उसकी आंखों में दिखे थे कुछ सवाल मुझे
अनुत्तरित हूं, प्रायश्चित मुझे आता है
जब भी जलाना था,जलाए हैं चिराग
हवाओं का रुख बदलना मुझे आता है