माना वक़्त बुरा है ये,पर ये भी चला जायेगा।

बीते वक़्त के मंज़र का कोई सानी न था,
आने वाला माहौल भी ,कुछ और नज़र आएगा,
हौसला रख की न डर से हैं कुछ हासिल,
ये आज भी ,कल काल के गराल में समायेगा,
माना वक़्त बुरा है ये , पर ये भी चला जाएगा।

आज दशानन भारी हैं,लक्ष्मण की मूर्छा जारी हैं,
हैं रघुकुल दीपक बाधित लेकिन,
पर हिम्मत अभी न हारी हैं,
बन हनुमान राम के दुख हरने,
अब संजीवनी कोई तो लाएगा,
माना वक़्त बुरा है ये , पर ये भी चला जायेगा।

पांचाली सी आहत धरती,निज पीड़ा पर क्रंदन करती,
कोई युक्ति नियोजित दिखती नहीं,
हे माधव इस के दुख हरती,
इस की लाज बचाने को,फिर मानवता लहलहाने को,
कान्हा का चक्र सुदर्शन आएगा,
माना वक़्त बुरा है ये , पर ये भी चला जायेगा।

नहीं दुख इस का की ,आज तुमसे दूरी हैं,
मिटेंगे ये फासले ये आस्था भी उस में पूरी है,
बस संभल के रहना होगा,
कुछ और दिन अब हमको,
फिर ये सन्नाटा खुद में ही समा जाएगा,
माना वक़्त बुरा है ये , पर ये भी चला जायेगा।

ये यकीं ही तो था खुद पर ,
की युग कोई भी हो, हार कभी न मानी हैं,
राह की मुश्किलें भी की हैं कुछ इस कदर बयान,
कि वो फ़लसफ़ा आज ,
मेरे जीने की कहानी हैं
सूरज छिपा हैं मगर जल्द निकल आएगा
माना वक़्त बुरा है ये , पर ये भी चला जायेगा।


तारीख: 04.03.2024                                    दिनेश पालिवाल









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