मरती हैं
कुछ अच्छी
कविताएँ, कहानियाँ
शेर,गजलें और मुक्तक भी ।
उपन्यास,आलेख के साथ
हर सहित्यिक विधा ।
बस तरीका बेहद
अलग है ।
कोई रूदन नहीं होता ।
न उठती है अर्थी कोई ।
न कोई मातमपुर्सी ।
सिर्फ़ हो
जाती हैं
लोगो के
उपेक्षा
का
शिकार ।
तारीख: 28.02.2024अजय प्रसाद
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