रंगों के इस गुलशन में, मैं रंग भरू तेरे संग में
अपने भी कुछ नए रंग हों, अपने ही एक आँगन में
खुली हवा जब बहती आये, साथ तेरी खुशबू लाये
तेरी मेरी खुशबू मिलके, नयी महक सी बन जाए
सुबह की धुंधली ओंस हो और बस तुम हो मेरी बाहों में,
ओंस की हर एक बूँद में बस तेरी ही तरन्नुम लहराए,
प्रकृति के हर कण में, बस तेरा ही प्यार नज़र आये
और भला क्या मांगू रब से, फिर भी एक और ख्वाहिश है,
ख्वाब अगर है ये मेरा तो, आँख कभी ना खुल पाये,
ख्वाब में ही मैं ज़ी लू तुम संग, ख्वाब में ही ये जान जाए