मेरे आंसू अब मेरी भी नहीं सुनते
बिन पतझड़ यह कभी भी गिरते जाते
एक समय था जब था मेरा पूरा इख्त्यार इनपर
आज कल तो यह खुद की भी कहाँ हैं सुनते
आते हैं दर्द में तो उससे ज्यादा ख़ुशी में यह निकल हैं जाते
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