पिय बिन होली

तुम बिन जीवन व्यर्थ है , तुम बिन साँसें तंग ,
सब मुझको रंगते रहे , पर तुम बिन कैसा रंग !!

आँख के आँसू से मिला , ज्यों तेरा ये रंग ,
मुखड़ा मेरा लाल हुआ , फड़के सारे अंग !!

रंग गुलाली चमकीला , सारे लगते शूल ,
तुम बिन जीवन की दिशा , सच में है प्रतिकूल !!

पूड़ी और कचौड़ी में , भला क्या होगा स्वाद ,
जो तुम एक मनुरम रहे , प्यारा सा एक साग !!

प्रियसी अब ना खोलेगी , अपने खिड़की द्वार ,
बचा हुआ ये रंग अब , अपने ऊपर डाल !!

प्रेम रंग के फव्वारों को उसको भूल ही जाना था ,
किसी और का लाल रंग जो सर पर उसे सजाना था !!

लाल हरा नीला चमकीला , भू को सबने खूब रंगा था
मैंने देखा बिखरे रंगों में , तेरा मेरा चित्र सज़ा था !!

आँख का काला गाल का गोरा , दिल का रंग गुलाबी है 
रंगों की सुंदर दुनिया में एक , तेरा रंग नवाबी है !!

साथ निभाके रीत निभाके , गाया तेरा गीत ,
साँसें दे दी फिर भी हो गयी , तेरे अहंकार की जीत !!

ऐ ईश्वर अब दया दिखा तू , सबने छोड़ा साथ ,
रंग बदलती ये दुनिया अब , तोड़ रही विश्वास !!


तारीख: 30.06.2017                                    शशांक तिवारी









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