सत्य गर शिव है
तो प्रेम शाश्वत
प्रेम न अभिलाषीत
प्रेम न परिभाषित
प्रेम निर्गुण है
प्रेम सगुण है
प्रेम न मर्यादित
प्रेम न संयोजित
प्रेम अविरल है
प्रेम बहुत सरल है ।
सत्य , शिव , सुंदरम है
प्रेम निश्छल रंग है ।
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