स्त्री

मन के पन्नों पर नोट होता है, 
स्त्री के लिए उपयुक्त शब्द। 
कभी कहते त्रियाचरित्र, 
कभी अबला,बेचारी, कुल्टा,
अभागिन। 
परन्तु ये शब्द मन पर तब ज्यादा घाव कर जाते हैं, 
जब एक स्त्री किसी दूसरे स्त्री को कह ले जाती है, 
ये शब्द। 
तो ठहाका लगाते, खड़े हो जाता है 'उनके अन्दर छिपा पौरूषत्व '।
तब सत्य लगता है, - स्त्रियों की कोई जात नहीं होती। 


तारीख: 22.02.2024                                    अदिति शंकर









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