बेटा पढ़ाओ , बेटी बचाओ

सरकार से लेकर लोकल सामाजिक कार्यकर्ता तक सभी 'बेटी पढ़ाओ' की रट लगा हलकान हो रहे हैं !

सड़क किनारे राह चलते,अस्पताल,रेलवे स्टेशन, सिनेमाघर, स्कूल, दफ्तर,बैंक, एयरपोर्ट , जहां कहीं देखो वहीं होर्डिंग , रंगी पुती दीवारें बस यही संदेश दे रही हैं कि बस 'बेटी पढ़ाओ !'

मन में एक विचार आ रहा है कि बेटी पढ़ाओ तो कैसे पढ़ाओ ?

उसे घर से बाहर पढ़ने भिजवाओ तो कैसे भिजवाओ ?

क्योंकि बाहर तो न जाने कितने ही अनपढ़, उजड्ड लड़के जो न जाने किस घर के चिराग हैं , उसे दबोचने को घात लगाए बैठे हैं !

जो पढ़े लिखे हैं भी या नहीं , नैतिकता और शर्म उनमें कभी थी या नहीं , मुझे संशय है !

मुझे तो अब बेटी पढ़ाने की बजाय बेटे पढ़ाना ज्यादा ज़रूरी लग रहा है !

एक अभियान चलाकर और स्लोगन लिख कर दीवारें पाट देनीं चाहिए कि-

बेटा पढ़ाओ , बेटी अपने आप ही बच जाएगी !

बेटे को नैतिकता सिखाओ, बेटी अपने आप ही बच जाएगी !

बेटे को बुरी आदतों से बचाओ, बेटी अपने आप ही बच जाएगी!

बेटे को नारी का सम्मान करना सिखाओ , बेटी अपने आप ही बच जाएगी!

क्या कभी कोई विग्यापन बनेगा कि ' बेटे को तमीज़ सिखाओ, संस्कार सिखाओ, देर रात बाहर रहने पर लगाम लगाओ ?'

रात में पुलिस द्वारा सड़कों पर लड़कियों के लिए पैट्रोलिंग की जाती है , लड़कों के लिए क्यों नहीं ? रात में सड़कों पर घूम रहे संदिग्ध लड़कों से पूछताछ क्यों नहीं की जाती ?

लड़कों के दोस्तों के फोन नंबर लेकर क्यों नहीं रखे जाते ?

लड़कों के साथ भी कभी कभार बाहर जाकर मालूम क्यों नहीं किया जाता कि वे किस संगत में रहते हैं और कहां कहां जाया करते हैं ?

बेटियों को बांध कर रखने की बजाय ज़रा बेटों को भी बांध कर रखें !

मुझे लगता है वक्त के साथ जब सबकुछ बदल रहा है तो बरसों से चली आ रही बेटे-बेटियों के पालन-पोषण के तरीकों और मान्यताओं में भी परिवर्तन करना आवश्यक है!

लड़को के हमेशा सुरक्षित और लड़कियों को हमेशा असुरक्षित समझने की बजाय सिक्के को उल्टा कर दूसरे पहलूं पर गौर करना होगा कि बेटे को तमाम व्यस्नों और बुरी सोहबत से अधिक सुरक्षित रख कर हम कितनी ही बेटियों को सुरक्षित रख सकते हैं !

'बेटी छोड़ो , बेटा पढ़ाओ, उसको हर संस्कार सिखाओ!

नैतिकता का पाठ पढ़ाकर नारी का सम्मान सिखाओ !'

नोट - और यदि कोई पुरूष अपने माता-पिता को बताकर या पूछकर हर कार्य करने की आदत डाल ले तो उसे उपहास का पात्र भी न बनाया जाए ! क्योंकि यदि यह आदत शुरू से उसके माता पिता ने उसमें डाली है फिर जाएगी नहीं , जो कुल मिलाकर उसे जि

म्मेदार भी बनाकर रखेगी हमेशा !


तारीख: 25.01.2020                                    सुजाता









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