कुछ शब्द इनके भी - आलोक कुमार

आलोक कुमार यूँ तो पेशे से मेकॅनिकल इंजिनियर हैं लेकिन आजकल साहित्य के गलियारों में पहचाने जाने लगे हैं जिसकी वजह है इनकी पुस्तक "दि chirkuts" “कुछ शब्द इनके भी” श्रृंखला की अगली कड़ी में हमने बातचीत की आलोक जी से | प्रस्तुत है इनसे बातचीत के कुछ अंश: 

The chirkuts

1. सबसे पहले आपकी पुस्तक के लिए बधाइयां एवं शुभकामनाएं।
   बहुत-बहुत धन्यवाद।

2. अपने बारे में हमारे पाठकों को कुछ बताएं।
  मेरे बारे में बताने के लिए अभी कुछ खास नहीं है। बस इतना कि मैंने बारहवीं तक की अपनी पढ़ाई दिल्ली में की और उसके बाद इंजीनियरिंग करने के लिए झांसी चला गया। वहाँ से मैकेनिकल इंजीनियर बन कर निकला और फिर नौकरी मुझे बैंगलोर ले आई। आजकल बैंगलोर में ही मेरा बसेरा है।
   

3. The चिरकुट्स क्या है? ये किस तरह के पाठकों के लिए है एवं इस किताब को क्यों पढ़ना चाहिए?
 ‘चिरकुट’ दोस्तों के बीच बोली जाने वाली भाषा का एक शब्द है, जिसका भावार्थ आप ‘बेवकूफ़’ समझ सकते हैं। ‘the चिरकुट्स’ ऐसे ही चार दोस्तों की कहानी है जो हर काम अपने तरीके से करते हैं। ये ऐसे पाठकों के लिए है जो बहुत ही भारी-भरकम साहित्य से दूर कुछ देर हँसना गुदगुदाना चाहते हैं।
अब रही बात कि इस किताब को क्यों पढ़ना चाहिए तो आप अगर कुछ समय अपने दोस्तों की यादों में बिताना चाहते हैं या फिर हास्टल की जिंदगी का एक रूप देखना चाहते हैं तो आप इसे पढ़ सकते हैं। इसके साथ ही यह किताब college love, arrange marriage और social issues के बारे में भी है।

4. अभी तक आपको कैसा response मिला है?
 मैं यह कहूँगा की अच्छा response है। जब लोग आपके लिखे हुए को पढ़ कर यह कहें कि एक बार फिर कुछ देर के लिए वो अपने दोस्तों के बीच पहुँच गए तब बहुत अच्छा लगता है।

5. साहित्य से लगाव कैसे हुआ। किताब लिखने के बारे में कब सोचा।
साहित्य से लगाव तो बाद में हुआ पर कुछ ना कुछ पढ़ने की आदत बचपन से ही थी। बचपन में गाँव जाते समय रेलवे स्टेशन से पापा कुछ किताबें इसलिए खरीद देते थे कि मैं किसी को परेशान ना करूँ और उन किताबों में ही उलझा रहूँ। बस किताबों में जो रूचि तब जगी वो आज तक बनी हुई है। स्कूल के समय से ही मैं कभी कभार कविताऐं और कहानियाँ लिख लेता था पर वो सब आज भी डायरियों में बंद हैं। कालेज में कुछ समय तक मैं मैकेनिकल ब्रांच की सालान मैगजीन का संपादक भी रहा पर उस समय तक ऐसा कुछ नहीं था कि कभी मैं किताब भी लिखूँगा। किताब लिखना तो अभी एक-डेढ़ साल पहले ही शुरु किया है।

6. वर्तमान समय में किसे पढ़ना पसंद करते हैं।
ऐसे किसी भी लेखक को जो अच्छा लिखता हो।

7. हाल के समय में एक नया trend देखा गया है। कॉलेज लाइफ पर किताबें लिखना, हिंदी एवं अंग्रेजी मिलाकर लिखना आदि। आपकी किताब भी काफी कुछ इसी ट्रेंड का हिस्सा है। ऐसी रचनाएँ ज्यादा लिखी जाने के साथ ज्यादा पढ़ी भी जा रही हैं। आपको क्या लगता है क्या है इसका कारण ?
मुझे ऐसा लगता है कि कालेज लाईफ सबसे बेहतरीन और यादगार होती है। इसलिए कालेज की कहानियों में लेखक और पाठक दोनों ही एक बार फिर उस समय को जीने की कोशिश करते हैं। और जहाँ तक हिन्दी और अंग्रेजी को मिलाकर लिखने की बात है तो मैं वही लिखने की कोशिश करता हूँ जैसा मैं बोलता हूँ। मेरा मानना है कि भाषा स्थिर नहीं होती। उसे चलायमान होना चाहिए। तो बस, हिन्दी is evolving.

8. आजकल के समय में हिंदी लिखने वालों के सामने क्या चुनौतियां आती हैं ? किताब प्रकाशित करने से लेकर पाठकों तक पहुचने तक .. आपने क्या क्या चुनौतियां ढूंढी?
चुनौतियाँ हिन्दी पाठकों की कमी को लेकर है। अभी भी एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो इंग्लिश को स्टेटस से जोड़ कर देखता है। बस यही कारण है कि हिन्दी के पाठक कम मिलते हैं। पर आजकल यह ट्रेंड बदल रहा है। उम्मीद है और अधिक लोग हिन्दी को पढ़ना शुरु करेंगे। बाकि मेरी खुशकिस्मति थी कि किताब प्रकाशित करवाने में मुझे कुछ ऐसी खास परेशानी नहीं हुई।

9. कई लोग मानते हैं कि किताब की सफलता(खासकर हिंदी किताबों की) कंटेंट से ज्यादा मार्केटिंग पर निर्भर करती है। आपकी दृष्टि में ये बात किस हद तक सही है?
देखिए मैं यह तो नहीं कहूँगा कि किताब की सफलता में मार्केटिंग का कोई हाथ नहीं है। आजकल ज़माना ही मार्केटिंग का है तो आप किताबों को उससे बाहर कैसे रख सकते हैं। पर हाँ यह बात जरूर है कि लेखक की सफलता कंटेट पर निर्भर करती है। अगर आपके पास अच्छा कंटेंट है तो आप जरूर सफल होंगे।

10. एक लेखक के तौर पर आगे की क्या योजना है।
अभी तो मेरी पहली किताब ही आई है और मैं बहुत आगे की नहीं सोच रहा हूँ। अभी फिलहाल मैं अपनी दूसरी किताब पर काम कर रहा हूँ जो एक ‘कहानी संग्रह’ होगी।

11. आपसे बात करके बहुत खुशी हुई। आपको हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं ।
  शुक्रिया।


कुछ शब्द इनके भी” में पढ़ें अन्य रचनाकारों को:

मनीषा श्री 
ज्योति जैन 


तारीख: 29.07.2017                                    साहित्य मंजरी









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है