न जाने एक आस सी जगी क्यू है

न जाने एक आस सी जगी क्यूँ है
मेरी आँखों में ये नमी क्यूँ है ।

एहसास है तुझको मेरी हर सांस का
फिर मेरे प्यार में कमी क्यूँ है।

दीपक जो जलाया मैंने तेरे नाम का
बता तुझको ये बात खली क्यूँ है ।

जानता हूँ तुझसे मिलना किस्मत नहीं
एक आग सी दिल में जली क्यूँ है ।

इकरार न किया कभी लबों से तूने 
मेरी आहट से दिल में तेरे खलबली क्यूँ है ।

जमाने के डर से ख़त्म जो की कहानी "रिशु"
याद उसकी तेरी आँखों में बसी क्यूँ है ।


तारीख: 16.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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