ये ना समझ कि हमको गम नहीं ।
बस रखते हम आँख नम नहीं ।।
तेरा भी दामन छलनी होगा,
मेरे हिस्से में भी दर्द कम नहीं ।।
अगर चाहत है तो आजमा ले,
ज़िंदगी, डरने वाले हम नहीं ।।
राह मुश्किल मंज़िल भी दूर है,
हम भी तैयार हैं वहम नहीं ।।
इस बार नए खंजर चला ‘माही’,
फिर वही पुराने ज़ख्म अब नहीं ।।