बिटिया कब बड़ी हो जाती है

 

गुजरते वक्त में पता ही नहीं चलता

नहीं-सी जान कब बड़ी हो जाती है

 

घर लौटता हूँ जब शाम को काम से

गुड़िया दरवाजे पर खड़ी हो जाती है 

 

प्यार से अगर कभी डांट देता हूँ तो

पल में सावन की झड़ी हो जाती है

 

उदास मन हो और वह सामने हो मेरे

जिंदगी खुशियों की लड़ी हो जाती है 

 

नन्हे पाँव जब थिरकते हैं आँगन में

दिवारें मोतियों से जड़ी हो जाती हैं 

 

होती है जिस दिन विदा बेटी घर से

जुदाई की अजीब घडी हो जाती है


तारीख: 16.11.2019                                    किशन नेगी एकांत









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