कुछ न कहो यदि वह अपना है। भय से ही थर थर कँपना है।।
ईश्वर जाने कहाँ छुपा है, अब केवल माला जपना है।
साहित्य यहाँ पर गौण हुआ, अखबारों में बस छपना है।
कोरोना का क्या है मतलब, पैसों पर पैसे खपना है।
जिस डाली पर फल फूल लदे, उस डाली को तो लफना है।
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