शायरी में सराबोर मत हो

शायरी में सराबोर मत हो
खामोशी और शोर मत हो ।
कोई तवज्जो देगा ही नहीं
जंगल का तू  मोर मत हो ।
और कुछ भी बन जा यहाँ
बस यूं आखरी छोर मत हो ।
लूट लेंगे बच्चें बे-मक़सद
कटे पतंग की डोर मत हो।
बेहद मायुसी भी ठीक नहीं  
ज़िंदगी से यूं बोर मत हो ।


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद









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