वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं

वक़्त  लम्हे  यूँ  ही  गुज़र  जाते  हैं,
मुहब्बत के अफ़साने बहुत याद आते हैं|

न तब कुछ कह पाते थे,
न अब कुछ कह पाते हैं,
वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं||

याद जब भी तुम्हारी आती है,
दिल भर आता है, आँख भर आती है,
इस भरी दुनिया में खुद को तन्हा पाते हैं,
वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं||

नज़र हर कहीं ढूंढ़ती है तुमको ,
दिल भी तुमको ही ढूंढ़ता है ,
हर सांस में बसी तुम हो ,
दिल तुम्हारे लिए ही धड़कता है ,

अपने वादे हम आज भी निभाते हैं,
वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं||

इश्क़ के खुमार को छुपाऊं कैसे?
दिल में जो है गुबार , वो बताऊँ कैसे ?
तन्हाइयों में छुपकर हम गीत गुनगुनाते हैं,
वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं||

दिल तो रोता है पर अश्कों को छुपाते हैं,
वक़्त लम्हे यूँ ही गुज़र जाते हैं||  


तारीख: 15.03.2025                                    शीलव्रत पटेरिया




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