महानगर राजे-महराजे
गाँव रिआया है।
सर्वसुविधा मिले शहर में
गाँव अभागे हैं।
रहनुमा देश के जबकि
सोते से जागे हैं।।
अगर मुफ्त का माल मिले तो
जी भर खाया है।
गाँवों के परिवेश में हम
ताँगा हाँक रहे।
बाइक, कार,आटो रिक्शा
बगलें झाँक रहे।।
बलवानों ने कमजोरों पर
आफत ढाया है।