पगली

Hindi  kavita sahitya manjari

प्रेम की वर्षा में क्या भीगी 
सौंप दिया तोहे तन मन
बिरहन कमली जोगन पगली
कहत है अब तो सब जन।

तोहरे संग क्या प्रीत रचाई
व्यथा में कटे है जीवन
हर क्षण तोहरी याद सतावे
हर पलछिन में तड़पन।

एक दिशा में जग मूआ
और एक में तोहरे नैनन
मैं बावरी जग को भूलकर
देखूँ  हूँ बस तोरे सपन।

पर तोहरे मन में मोरे वास्ते
कभू ना कछू चिंतन
फिर भी तो तोसे प्रेम करूँ
बड़ी पगली सी हूँ हमन।


तारीख: 04.01.2024                                    जॉनी अहमद क़ैस









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