बारात

बहु लिवाने गई बारात के पीछे 
घर पर बची औरतों के जिम्मे 
उतने ही काम होते हैं,
जितने बारात की अगुवाई 
मेहमानवाज़ी करते
घरातियों के जिम्मे!
बिखरे कंघों, सेफ्टीपिनों
हेयरक्लिपों, दुपट्टों,
चूड़ियों, बची पूड़ियों
सूखती भाजी, 
बूढ़ी अम्मा की नाराजी,
हेयर ड्रायरों के प्लग
सबके अधखुले बैगों 
सूटकेसों को सहेजकर 
गिनकर रखते कुल जमा नग,
ढोलक, बतासे ,
देवघर में सजे 
दई-पितरों की आन
थापे - हत्थड़ी के 
आगे जलते दीए,
दरियों की झाड़ पुंछावट
बहु के कमरे की साज सजावट
उनींदे बैठकर गवते गीत
ब्याहली की अगुवाई को
याद कर गिनती
भूल-बिसरी रसम-रीत
आरते के थाल की रोली
मीठे चावल को पकती
मेवों की सौंधी बघारी 
बड़बूढ़न के सोने को
ढूंढकर बिछते गद्दे
भंडारे में सहेजकर रखते 
भाजी-परोसे के डिब्बे,
मेहमान विदाई को गिनकर
भरते लिफाफे ,
साड़ी-जोड़े संग
गोले रुमाल और साफे ,
इन सबके बीच 
घर पर बची औरतें 
इस धर-उठाई में बन जाती हैं 
वे बैकस्टेज पर्फार्मिंग आर्टिस्ट्स 
जिनकी पर्फार्मेंस शादी की 
एलबम की तस्वीरों
और वीडियो फिल्म में 
कवर होने से रह जाती है !
लेकिन मानो या न मानो
ब्याहों की सारी रस्में 
इन घर में छूटी औरतों से ही 
निखर कर संवर पाती है ! 


तारीख: 22.02.2024                                    सुजाता गुप्ता









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