बोझ

बोझ की तरह ढोया जा रहा हूं
फिर भी जिए जा रहा हू
अक्षमता की कसक
स्वयं का कोई दोष नहीं
प्रकृति का खेल है
हमें कोई रोष नहीं
 


तारीख: 23.06.2024                                    प्रतीक बिसारिया




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