उसकी धड़कन बन जाऊं, मैं उसका दिल बन जाऊं..
मन करता है मैं उसके, होठों का तिल बन जाऊं..
वो हंसे तो उसके गालों के, दो गड्ढे प्यारे बन जाऊं..
वो रोए तो उसके आंसू की, बहती धारा बन जाऊं..
और लूट के उसका दिल, मैं उसका कातिल बन जाऊं..
मन करता है मैं उसके, होठों का तिल बन जाऊं..
उसकी आंख के काजल का, मैं बहता पानी बन जाऊं..
प्रेम पत्र से शुरू हुई, वो अमर कहानी बन जाऊं..
गुस्से में माथे की शिकन बन, दर्द में मरहम बन जाऊं..
उसकी धड़कन बन जाऊं, मैं उसका दिल बन जाऊं..
मन करता है मैं उसके, होठों का तिल बन जाऊं..
उसकी चुनर केसरी के रंग में रंग जाऊं..
दिल करता उसके ढंग में ढल जाऊं..
उसकी हर बात में शामिल हो, बस उसको सुनता जाऊं..
वो मरजानी हसंती रहे, मैं उसके दिल पर मर जाऊं..
उसकी धड़कन बन जाऊं मैं उसका दिल बन जाऊं..
मन करता है मैं उसके होठों का तिल बन जाऊं..
सर्द भरे मौसम में उसकी धूप सुहानी बन जाऊं
उसकी रुह से प्रेम करूं मैं इश्क रूहानी बन जाऊं
उसके दुख में साथ रहूं मैं उसकी खुशी में हंस जाऊं..
उसके तिल पर मरता मरता उसके दिल सा हो जाऊं...
उसकी धड़कन बन जाऊं मैं उसका दिल बन जाऊं
मन करता है मैं उसके होठों कातिल बन जाऊं