मुझे पुकार लो

मुझे पुकार लो कभी तुम मुस्कुराके,
झुकी-झुकी सी नज़र से शरमा के।

खिले हुए सूरत-ए-कँवल को,
दिन बहुत हो चुके,
हँसे हुए लब़-ए-गज़ल को,
दिन बहुत हो चुके,
वही अदा का दीदार दो फिर जुल्फ़ उठाके।1।


गुजर ना जाए दिन हँसी के,
फिर सब़ा बनके,
कभी मिलो तो हमसे आके,
नयी सुबह बनके,
छलक उठेंगे दिल के अरमाँ सिसकियाके।2।
सिले हुए लब़ों से मैं क्या,
इक़रार करूँ,
सुलगते जज्ब़ा लेके कब तक,
इंतज़ार करूँ,
जरा सा छू लो आके दिल को तरस खाके।3।

नजारों में भी इन बहारों की,
एक विरानी है,
जरा बढ़ाओ भी ये कदम कि,
पास आनी है,
करो ना देर, क्या मिलेगा दिल जलाके।4।


तारीख: 22.06.2017                                    सुहानता ‘शिकन'









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