आजकल उन्हे हमारी यादें मीठी नहीं लगती
मोहब्बत के फल शायद थोड़े कच्चे रह गये थे
उनकी यादों की जो चिंगारी आँखों ने सहेजकर
दिल में छिपा रखीं थी,
वही चिंगारी आज आग हो, बेकाबू हो
दिल की चारदीवारी को ही झुलसा रही हैं
आजकल हमारे नाम से उनका चेहरा सुर्ख नही होता
मोहब्बत के रंग शायद थोड़े कच्चे रह गये थे