मेरे इश्क़ का मेरे रहबर अब और इम्तिहान न ले
दिल तो दे दिया है , अब जान न ले
उसके किस्से तो ज़िंदा रहेंगे क़यामत तक
मैंने भी कुछ लिखा है , मेरी दास्तान न ले
साहित्य मंजरी - sahityamanjari.com