तो आप भी साहित्य में षडयंत्र के शिकार हो गए
भयंकर बुद्धिजीवी मानसिकता के विकार हो गए ।
तब तो आप किसी की भी सुनेंगे ही नहीं,क्या कहूँ
जब आप खुद ही अपने आप से दरकिनार हो गए ।
तारीख: 12.02.2024अजय प्रसाद
नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है