किताबगंज: कस्बा किताबों वाला(प्रेस विज्ञप्ति)

नई दिल्ली : राजकमल प्रकाशन ‘विश्व पुस्तक मेला’ में बसाने जा रहा है, किताबों का क़स्बा : किताबगंज | 6-14 जनवरी 2018, नई दिल्ली के प्रगति मैदान हॉल नंबर 12A स्टॉल नम्बर 247 से 268 तक राजकमल के  इस खूबसूरत कस्बे में आप किस्सों-कहानियों, यादों-तरानों के साथ किताबों की बस्ती के कुछ ख़ास बाशिंदों से भी मिल पाएंगे|  जहाँ पर्यावरण और जलवायु को ध्यान में रखते हुए पुरानी और नयी चीजों को संजोया जायेगा|  स्टाल के मुख्य आकर्षण : किताबों पर विशेष छूट (थीम के हिसाब से पर्यावरण की सभी किताबों पर विशेष छूट दी जाएगी साथ ही कुछ चुनिन्दा किताबों पर एक के साथ एक फ्री किताब भी दी जाएगी), स्टाल में कुछ बेहतरीन सेल्फी पॉइंट का भी इंतजाम किया है, जहाँ आप अपनी और अपने दोस्तों की यादगार सेल्फी ले सकते हैं), ऑडियो बुक (हिंदी में पहली बार अब सुनिए किताबें| इस पुस्तक मेले में आप किताबों को पढने के साथ ही उन्हें सुन पाने का नायब अनुभव ले सकते हैं. पुस्तक मेले में रोजाना किताबों का विमोचन ,कविता पाठ सहित कई कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे.

एक हप्ते तक चलने वाले विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन द्वारा 50 से अधिक  किताबों का लोकार्पण होगा , जिनमे से  सुभाष चन्द्र कुशवाहा की नई किताब 'अवध का किसान विद्रोह' ,विवेक अग्रवाल की बॉम्बे की बारबालाओं की जिंदगी को वास्तविक ढंग से सामने ला रही किताब ‘बॉम्बे बार’, ज्यां द्रेज़ और अमर्त्य सेन की किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी : इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन’ का हिंदी अनुवाद ‘भारत और उसके विरोधाभास’, अजय सोडानी की हिमालय-यात्रा श्रृंखला की दूसरी किताब ‘दरकते हिमालय पर दरबदर’,लोकप्रिय उपन्यास ‘माई’ की मशहूर लेखिका गीतांजलि श्री का नया उपन्यास ‘रेत समाधि’, रामशरण जोशी की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा ‘मैं बोनसाइ अपने समय का’ और  साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘कलिकथा वाया बायपास’ की विख्यात लेखिका अलका सरावगी का एक और दिलचस्प उपन्यास ‘एक सच्ची-झूठी गाथा’ भी पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगा.

इनके अतिरिक्त राष्ट्रवाद के तीखे मुद्दे पर, जेएनयू में हुए तेरह व्याख्यानों का संकलन रविकांत द्वारा सम्पादित किताब ‘आज के आईने में राष्ट्रवाद’ नाम से आएगा| शिवरतन थानवी का डायरी संकलन ‘जग दर्शन का मेला’ एक सजग शिक्षक के नजरिये से शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्यबोध और व्यावहारिक समस्याओं से परिचय कराती है| शंखघोष की गूढ़ कवितायेँ ‘मेघ जैसा मनुष्य’, ज्ञान चतुर्वेदी का मार्मिक उपन्यास ‘पागलखाना’, शीतांशु की गहन शोध के बाद लिखी गई किताब ‘कम्पनी राज और हिंदी’ भी पुस्तक मेले में लोकार्पित होंगी|

राजकमल प्रकाशन के बारे में :

 हिन्दी प्रकाशन जगत में राजकमल प्रकाशन समूह ही एक मात्रऐसा प्रकाशन है जिसकी पुस्तकों का समाज, साहित्य, संस्कृति, कला, भाषा, इतिहास, विज्ञान आदि क्षेत्रों में संवाद और सृजनात्मकता स्थापित करने में सर्वाधिक योगदान है। अपने 70सालों के सफ़र में ‘समूह’ ने पुस्तकों और पाठकों के बीच के जिस रिश्ते को जिया और रचा है वह उसकी युग-दृष्टि का ही परिचय है। 20वीं सदी का समय हो या 21वीं सदी का, ‘समूह’ ने बग़ैर किसी समझौते के पुस्तकों की गुणवत्ता और पाठकीयता को ही सबसे ऊपर रखा। यही कारण है कि आज जहाँ संचार-समय में चीज़ें इतनी तेज़ी से घटित हो रही हैं कि बहुत कुछ देर तक टिक नहीं पा रहा, वहाँ राजकमल प्रकाशन समूह एक पुस्तक-संस्था के रूप में विश्वसनीयता की इबारत नज़र आता है! 


तारीख: 06.01.2018                                    संतोष कुमार









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