
वाराणसी की गलियों, बनारसी युवाओं और उनकी कहानियों का जीवंत आख्यान
निखिल सचान ने नमक स्वादनुसार और ज़िन्दगी आइस पाइस से हिन्दी में एक नयी कस्बाई-युवा लेखन-धारा शुरू की। उनकी तीसरी किताब UP 65 (2017) इस यात्रा का सबसे परिपक्व और लोकप्रिय मुकाम है। यह उनका पहला उपन्यास है, जिसमें कहानी एक विशिष्ट शहर—वाराणसी (बनारस)—और वहाँ के कॉलेज जीवन पर केंद्रित है।
यह किताब केवल छात्रों, प्रेम-प्रसंगों और दोस्ती की दास्तान नहीं है, बल्कि बनारस की संस्कृति, भाषा, ठाठ और जीवनशैली का दस्तावेज़ भी है।
• “UP 65” — उत्तर प्रदेश की गाड़ियों का पंजीकरण कोड। वाराणसी की गाड़ियों पर यही लिखा होता है।
• प्रतीकात्मक रूप से, यह शीर्षक बनारस की पहचान है—उस शहर की गंध, उसके लोग और वहाँ का जीवन।
• यह बताता है कि यह कहानी किसी काल्पनिक जगह पर नहीं, बल्कि असली बनारस की गलियों से निकली है।
• स्थान: वाराणसी—गंगा घाट, पान की दुकानें, साइकिल रिक्शे, संकरी गलियाँ, और कॉलेज परिसर।
• टोन: चुटीला, युवा, जीवंत।
• दृष्टि: शहर और छात्र-जीवन दोनों का हास्य-व्यंग्य और संवेदनाओं के साथ चित्रण।
कहानी का केंद्र है नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, बनारस।
मुख्य पात्र—निशांत, सौरभ, विवेक, मनीषा और उनके दोस्त।
• यह दोस्ती, प्रेम और इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई के बीच झूलते जीवन की दास्तान है।
• निशांत की नज़र से हम बनारस को देखते हैं—कभी घाट पर, कभी पान की दुकान पर, कभी हॉस्टल में।
• कहानी में हास्य भी है—पढ़ाई के बहाने मस्ती, कैंटीन की चर्चाएँ, बनारसी अंदाज़।
• साथ ही, यह उपन्यास रिश्तों की उलझनें और युवाओं के सपनों की थकान भी दिखाता है।

• निशांत — उपन्यास का नायक, बनारस का इंजीनियरिंग छात्र। मज़ाकिया, जिंदादिल, लेकिन सोचने वाला।
• सौरभ, विवेक — दोस्त, जो कहानी को रंगीन और मजेदार बनाते हैं।
• मनीषा — स्त्री पात्र, जिससे प्रेम और रिश्तों की जटिलता जुड़ती है।
• बनारस शहर — यह किताब का असली नायक है। शहर हर पन्ने पर मौजूद है—उसकी भाषा, ठाठ, और रोज़मर्रा की आदतें।
• भाषा: बनारसी टोन से भरी हुई। पान-ठेलों की बातें, गालियाँ, ठेठ मुहावरे—सब कुछ।
• शिल्प: हल्का-फुल्का लेकिन लगातार आकर्षक। कहीं आत्मकथात्मक, कहीं संस्मरणीय।
• विशेषता: किताब पढ़ते हुए लगता है जैसे आप खुद बनारस में घूम रहे हों।
1. दोस्ती और मस्ती
उपन्यास दोस्ती को सबसे बड़ा सहारा मानता है।
2. छात्र-जीवन
इंजीनियरिंग कॉलेज और उसमें पलते सपने, आलस्य और संघर्ष।
3. बनारसी संस्कृति
किताब गंगा-घाट, पान, चाय और मस्ती की झलकियाँ देती है।
4. प्रेम और रिश्ते
युवा प्रेम की सहजता और उलझनें कहानी को व्यक्तिगत स्पर्श देती हैं।
• UP 65 हिन्दी युवाओं के बीच कल्ट किताब बन गई।
• यह केवल उपन्यास नहीं, बल्कि बनारस की संस्कृति का दस्तावेज़ है।
• इसे पढ़ने वाले युवाओं को लगा कि हिन्दी में भी “कैंपस-नॉवेल” हो सकते हैं।
• इसके बाद यह किताब सोशल मीडिया पर खूब चर्चित रही और युवाओं की पढ़ने की आदत को बढ़ावा दिया।
Reviewer’s Take
UP 65 निखिल सचान की सबसे मनोरंजक किताब है। इसमें हास्य, व्यंग्य, प्रेम और दोस्ती सब है। लेकिन सबसे बड़ी चीज़ है—बनारस की आत्मा।
पढ़ते समय यह किताब केवल कहानी नहीं, बल्कि बनारस का अनुभव बन जाती है। गली के मोड़, रिक्शेवाले की आवाज़, घाट पर बजती आरती, पानवाले की हाँक—सब कुछ किताब में दर्ज है।
भाषा इतनी सहज और वास्तविक है कि लगता है जैसे आप अपने ही कॉलेज-जीवन की यादें पढ़ रहे हों। यह उपन्यास उन युवाओं के लिए भी है जिन्होंने कभी बनारस नहीं देखा—क्योंकि इसके ज़रिए वे उस शहर को महसूस कर सकते हैं।
निष्कर्ष
UP 65 हिन्दी में समकालीन युवा उपन्यासों की सबसे चमकदार मिसाल है। इसमें दोस्ती, प्रेम और बनारसी ठाठ का ऐसा संगम है जो हर पाठक को बाँध लेता है।
एक पंक्ति में: UP 65 दोस्ती, प्रेम और बनारसी संस्कृति का ऐसा जीवंत आख्यान है जो पढ़ते ही दिल में बस जाता है।