
कस्बाई युवाओं की खट्टी-मीठी कहानियों का आधुनिक संग्रह
2013 में नमक स्वादनुसार से निखिल सचान ने हिन्दी में नई तरह की आवाज़ दी—कस्बाई और शहरी जीवन को बोलचाल की भाषा में लिखना। 2015 में आए उनके दूसरे कहानी-संग्रह ज़िन्दगी आइस पाइस ने इस आवाज़ को और मजबूत किया। इस किताब ने साबित किया कि उनकी शैली कोई संयोग नहीं थी; यह उनकी सोच, अनुभव और दृष्टि का हिस्सा है।
यह संग्रह कस्बाई और छोटे शहरों के युवाओं की मस्ती, मोहब्बत, संघर्ष और छोटे-छोटे अनुभवों को पकड़ता है। यह उनके लिए भी है जो छोटे कस्बों से बड़े सपनों के साथ शहरों में आए हैं, और उनके लिए भी जो अब भी उन कस्बों में रहते हुए भविष्य के सपने देखते हैं।
• “ज़िन्दगी आइस पाइस” — यह शीर्षक असल में बच्चों के बीच खेले जाने वाले खेल “आइस-पाइस” (लुका-छिपी) का नाम है।
• यह बताता है कि ज़िन्दगी भी लुका-छिपी जैसा खेल है—कभी हम छुपते हैं, कभी भागते हैं, कभी किसी को खोजते हैं।
• प्रतीकात्मक रूप से यह दर्शाता है कि जीवन के हर अनुभव में थोड़ी-सी मिठास, थोड़ी-सी कड़वाहट, और ढेर सारा खेल-भाव है।
• स्थान: छोटे कस्बों की गलियाँ, रेलवे प्लेटफ़ॉर्म, स्कूल-कॉलेज, चाय की दुकानों और घरों के आँगन—ये सब कहानियों में बार-बार आते हैं।
• टोन: नॉस्टैल्जिक, हल्का-फुल्का, मगर बीच-बीच में मार्मिक भी।
• दृष्टि: बचपन, युवावस्था और कस्बाई जीवन की उन छोटी-छोटी बातों को पकड़ना जिन्हें बड़े होते-होते हम भूल जाते हैं।

ज़िन्दगी आइस पाइस एक कहानी-संग्रह है। हर कहानी स्वतंत्र है, लेकिन सभी में एक साझा भाव है—निखिल सचान का कस्बाई भारत के प्रति अपनापन और उसकी छोटी-छोटी कहानियों को साहित्य में जगह देना।
(1) बचपन की गलियाँ
कुछ कहानियाँ बचपन के खेल, दोस्तों, और परिवार की छोटी-छोटी घटनाओं को पकड़ती हैं।
(2) किशोरावस्था और पहली मोहब्बत
कुछ कहानियाँ युवावस्था की झिझक, पहली मोहब्बत और अनाड़ीपन को सामने लाती हैं।
(3) बड़े सपने, छोटे कस्बे
कई कहानियाँ उन युवाओं पर हैं जो छोटे कस्बों से बड़े शहरों की ओर जाते हैं—उनके सपने, संघर्ष और मज़ाकिया अनुभव।
(4) व्यंग्य और हँसी
निखिल सचान की विशेषता है कि वे सबसे सामान्य अनुभव को भी हास्य-व्यंग्य से भर देते हैं।
• “मैं” / कथावाचक — कई कहानियों में आत्मकथात्मक स्वर है।
• दोस्त — छोटे कस्बों के वह साथी जो बचपन और किशोरावस्था को यादगार बनाते हैं।
• परिवार — माँ, पिता, बहन-भाई, चाचा-चाची जैसे पात्र, जो कहानियों को घरेलू बनाते हैं।
• सड़क, स्टेशन, चायवाले — ये सब भी पात्रों की तरह हैं, जो हर कहानी को यथार्थ की गंध देते हैं।
• भाषा: हल्की, बोलचाल की, कहीं-कहीं कस्बाई स्लैंग और मुहावरे।
• शिल्प: छोटी-छोटी कहानियाँ, जिनमें कोई दिखावा नहीं।
• विशेषता: पाठक को यह महसूस होता है कि जैसे कोई दोस्त किस्से सुना रहा है, कोई “लेखक” नहीं।

1. बचपन और स्मृति
यह संग्रह बताता है कि बचपन की यादें जीवन की सबसे गहरी पूँजी होती हैं।
2. कस्बाई जीवन और युवा आकांक्षा
छोटे कस्बों के युवाओं की आकांक्षाएँ और उनके मज़ाकिया अनुभव यहाँ ज़िंदा हैं।
3. छोटी कहानियों में बड़ा जीवन
लेखक बताता है कि जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कहानियाँ वही होती हैं जिन्हें हम मामूली मानते हैं।
4. हास्य और अपनापन
किताब के हर पन्ने में हल्की मुस्कान है। गंभीर विषय भी हल्केपन के साथ कहे गए हैं।
• ज़िन्दगी आइस पाइस ने निखिल सचान को नये हिन्दी पाठकों का सबसे पसंदीदा लेखक बना दिया।
• यह किताब युवाओं में हिट हुई क्योंकि इसमें उनकी अपनी कहानियाँ थीं—उनकी भाषा, उनका बचपन, उनके सपने।
• आलोचकों ने कहा कि यह संग्रह हिन्दी में “नॉस्टैल्जिक कस्बाई लेखन” की धारा को और मजबूत करता है।
Reviewer’s Take
ज़िन्दगी आइस पाइस पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे आप किसी पुराने मोहल्ले में लौट आए हों। हर कहानी एक स्मृति है, हर पंक्ति एक तस्वीर।
निखिल सचान ने अपनी पहली किताब नमक स्वादनुसार में जो टोन सेट किया था, उसे यहाँ और परिपक्व किया है। भाषा और भी सहज है, कहानियों का प्रवाह और भी बढ़िया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि यह किताब केवल नॉस्टैल्जिया नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की मानसिकता भी दिखाती है—कैसे छोटे कस्बों के लोग बड़े शहरों में जाते हैं, वहाँ की दुनिया देखते हैं, और फिर भी अपने बचपन की स्मृतियों में लौटते हैं।
कई कहानियाँ पढ़ते समय आप हँसते हैं, कई पढ़ते समय गले में गाँठ-सी बनती है। यही किताब की सबसे बड़ी सफलता है—यह केवल मनोरंजन नहीं करती, बल्कि भीतर एक गर्माहट छोड़ जाती है।
निष्कर्ष
ज़िन्दगी आइस पाइस निखिल सचान का वह संग्रह है जिसमें कस्बाई जीवन, बचपन और युवावस्था की कहानियाँ इतनी आत्मीयता से आती हैं कि हर पाठक उसमें अपना अक्स देखता है।
एक पंक्ति में: ज़िन्दगी आइस पाइस छोटे कस्बों के युवाओं की लुका-छिपी सी ज़िन्दगी का ऐसा संग्रह है, जिसमें हँसी भी है, नॉस्टैल्जिया भी और जीवन की गहरी मिठास भी।