द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स


अरुंधति रॉय का द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स 1997 में प्रकाशित हुआ और उसी वर्ष मैन बुकर पुरस्कार जीतकर साहित्यिक दुनिया में तहलका मचा दिया। यह सिर्फ एक पारिवारिक कहानी नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना, जातिगत भेदभाव, और प्रेम पर लगाए गए अदृश्य (और क्रूर) नियमों की मार्मिक पड़ताल है। उपन्यास के केंद्र में दो जुड़वां भाई-बहनएस्था और राइ़ेल—हैं, जिनकी जिंदगी बचपन की एक त्रासदी से हमेशा के लिए बदल जाती है।

 

कथानक और संरचना


कहानी का कैनवास केरल के आयमनेम गांव है, जो 1969 और 1993 के बीच की घटनाओं को बिखरे हुए, गैर-रेखीय (non-linear) क्रम में प्रस्तुत करता है।


अम्मू, कहानी की केंद्रीय महिला पात्र, अपने शराबी पति से अलग होकर अपने जुड़वां बच्चों के साथ मायके लौट आती है। मायके में उनका भाई चाको रहता है, जो इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटा है और पारिवारिक अचार फैक्टरी संभाल रहा है। चाको की विदेशी पत्नी मार्गरेट कोचम्मा और उनकी बेटी सोफी मोल क्रिसमस मनाने के लिए इंग्लैंड से आती हैं।


एक पारिवारिक यात्रा के दौरान, वे कम्युनिस्ट प्रदर्शनकारियों की भीड़ में फँस जाते हैं। उसी दौरान राइ़ेल की नज़र वेलुथा पर पड़ती है—एक दलित बढ़ई जो फैक्टरी में काम करता है और कम्युनिस्ट आंदोलन से जुड़ा है। धीरे-धीरे, बच्चों और अम्मू का वेलुथा से गहरा लगाव हो जाता है, और अम्मू तथा वेलुथा के बीच प्रेम पनपता है—एक ऐसा प्रेम जिसे समाज “अवर्णनीय” और “अस्वीकार्य” मानता है।


त्रासदी तब होती है जब सोफी मोल नदी में नाव दुर्घटना में डूबकर मर जाती है। परिवार अपने सामाजिक सम्मान की रक्षा के लिए वेलुथा पर आरोप मढ़ देता है कि उसने बच्चों का अपहरण किया था। पुलिस वेलुथा को बुरी तरह पीटती है और वह हिरासत में ही मर जाता है।


अम्मू को घर से निकाल दिया जाता है; वह 31 वर्ष की उम्र में गुमनामी में मर जाती है। एस्था और राइ़ेल को अलग कर दिया जाता है। बरसों बाद, 1993 में वे फिर मिलते हैं, और यह पुनर्मिलन—दुःख, अकेलेपन और अधूरेपन से भरा—उनके बीच एक अनकहे, समाज-वर्जित संबंध में बदल जाता है।

 

प्रमुख विषय और विचार


1. “लव लॉज़” – प्रेम के नियम


रॉय ने ‘लव लॉज़’ की अवधारणा को केंद्रीय विषय बनाया है—ऐसे नियम जो तय करते हैं कि किसे, कितना और कैसे प्यार किया जा सकता है। अम्मू और वेलुथा का संबंध इन नियमों की सबसे बड़ी अवहेलना है, और यही उनके विनाश का कारण बनता है।
“They all broke the rules. They all crossed into forbidden territory. And the laws that lay down who should be loved, and how. And how much.”
(उन्होंने सारे नियम तोड़ दिए। उन्होंने उस निषिद्ध क्षेत्र में कदम रखा जहाँ समाज ने प्रेम के लिए सीमा खींच रखी थी। और वे नियम जो यह तय करते हैं कि किससे, कैसे, और कितना प्रेम किया जाए।)


2. जाति और सामाजिक अन्याय


वेलुथा, जो एक ‘अछूत’ है, समाज के क्रूर अन्याय का शिकार बनता है। उसका अपराध यह नहीं कि उसने कोई हिंसा की, बल्कि यह कि उसने प्रेम किया—और वह भी एक उच्च जाति की महिला से। रॉय केरल की जातिगत व्यवस्था की नृशंसता को बिना लाग-लपेट के उजागर करती हैं।


3. बचपन और स्मृति का विखंडन


कहानी का ढांचा स्मृतियों के टुकड़ों से बना है। बचपन के ‘छोटे’ पल—नदी में खेलना, कथकली देखना, ऑरेंज ड्रिंक-लेमोन ड्रिंक मैन से मिलना—धीरे-धीरे एक बड़ी त्रासदी का रूप ले लेते हैं। रॉय दिखाती हैं कि “छोटी चीज़ें” भी “बड़े हादसों” का बीज बन सकती हैं।


4. भाषा और प्रतीकात्मकता


रॉय की भाषा एक तरह की ‘काव्यात्मक गद्य’ है, जिसमें अंग्रेज़ी और मलयालम का मिश्रण है। वे शब्दों की ध्वनियों और पुनरावृत्ति से एक लय पैदा करती हैं।
•  नदी – जीवन और मृत्यु का प्रतीक
•  नाव – सपनों और दुर्घटनाओं का माध्यम
•  कथकली – पारंपरिक केरल संस्कृति और पितृसत्ता का दर्पण

 

चरित्र-चित्रण


•  अम्मू – एक विद्रोही महिला, जो प्रेम और आत्मसम्मान के लिए समाज के खिलाफ खड़ी होती है।
•  वेलुथा – कोमल हृदय, कुशल कारीगर, पर जातिगत हिंसा का शिकार।
•  एस्था और राइ़ेल – मासूमियत, बिखराव, और जीवन के घावों के प्रतीक।
•  बेबी कोचम्मा – परिवार की बुज़ुर्ग महिला, जो सामाजिक नियमों और पूर्वाग्रहों की मूर्त रूप हैं।

 

शिल्प और शैली


रॉय ने कालक्रम को तोड़ते हुए, ‘फ्लैशबैक’ और ‘फ्लैश-फॉरवर्ड’ का उपयोग किया है। पाठक धीरे-धीरे घटनाओं के टुकड़ों को जोड़कर पूरी कहानी समझता है—जैसे कोई टूटी हुई मोज़ेक पेंटिंग के टुकड़े जोड़ रहा हो।
उनकी भाषा में बाल-सुलभ दृष्टि की मासूमियत और वयस्क अनुभव की कटुता, दोनों साथ चलते हैं।

 

आलोचनात्मक दृष्टि


कुछ आलोचकों ने कहा कि उपन्यास में समाज-वर्जित संबंध का चित्रण साहसी लेकिन विवादास्पद है। वहीं, अन्य इसे पितृसत्ता और जातिवाद के खिलाफ एक शक्तिशाली साहित्यिक बयान मानते हैं। रॉय की ताकत यह है कि वे संवेदनशील मुद्दों को भी काव्यात्मक, परंतु बेधड़क ढंग से पेश करती हैं।

द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स सिर्फ एक प्रेम-कहानी नहीं, बल्कि यह समाज की जटिल परतों, मानवीय इच्छाओं और व्यवस्था की क्रूरता का गहन चित्रण है। यह हमें याद दिलाता है कि “छोटी चीज़ें”—एक स्पर्श, एक मुस्कान, एक चोरी-छुपे मिली नज़र—भी जिंदगी की दिशा बदल सकती हैं।
 


तारीख: 23.08.2025                                    लिपिका




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है