तुमने जो रोजगार ढूंढा है
वो मियादी बुखार ढूंढा है
फूल ढूंढे हैं तुमने अपने लिए
पर मेरे लिए तो खार ढूंढा है
वैसे मैं ढूंढता नहीं कुछ भी
पर तुम्हें बार बार ढूंढा है
ख़ुद को ढूंढा है झांक कर मन में
और फिर बेशुमार ढूंढा है
अपनी ग़ज़लों के चंद शेरों में
मैंने जीवन का सार ढूंढा है