खुदा के लिए


आज नज़रें मिलाओ ख़ुदा के लिए
एक बार आ भी जाओ ख़ुदा के लिए

आज पहली दफ़ा कह रहा हूँ ग़ज़ल
हौसला तुम बढ़ाओ ख़ुदा के लिए

चुप रहो,मत कहो तुम किसी से यहाँ
रात वो भूल जाओ ख़ुदा के लिए

ज़िन्दगी तुम गुज़ारो अकेले नहीं
हाथ सबसे मिलाओ ख़ुदा के लिए

अपने खातिर नहीं,मेरे खातिर नहीं
प्यार को तुम निभाओ ख़ुदा के लिए

तीरगी तीरगी हर तरफ है 'गगन'
एक दीपक जलाओ ख़ुदा के लिए


तारीख: 14.06.2017                                    पीयूष गुप्ता









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