टेसू की बारात

टेसू की बारात चली है।
गंध नहाई रात चली है।।

लोग यहाँ महफ़िल में बैठे -
कुछ रसभीनी बात चली है।

अवसर कोई जब आया है -
लोगों में सौगात चली है।

घूम शहर आई है लड़की -
अब घर को देहात चली है।

टूट कलम जाएगी गर तो-
राहत को दावात चली है।

खाने का टोटा पड़ जाए-
ऐसे में खैरात चली है।


तारीख: 23.03.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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