टेसू की बारात चली है।
गंध नहाई रात चली है।।
लोग यहाँ महफ़िल में बैठे -
कुछ रसभीनी बात चली है।
अवसर कोई जब आया है -
लोगों में सौगात चली है।
घूम शहर आई है लड़की -
अब घर को देहात चली है।
टूट कलम जाएगी गर तो-
राहत को दावात चली है।
खाने का टोटा पड़ जाए-
ऐसे में खैरात चली है।