सरकारी दफ्तर
में देखी
मैंने अमलासाजी है!
चमचागिरी के
कौवे बैठे
आफिस की शाखों में!
उच्च पदों पर
बैठे लोग
खेल रहे लाखों में!!
वर-वधु में
बैर करा दे
वह ही सच्चा काजी है!
है देश की सुविधाएं-
संसद में-
बैठा करतीं!
नौकर-चाकर पर
मंत्राइन-
ऐंठा करतीं!!
मंत्री जी बस
दिखा रहे
अपनी पैंतरेबाजी है!
आखिर संबंधों के
तोता-मैना
जाने कहाँ उड़े!
बाज सरीखे पक्षी
छत-मुंडेरों
से आज जुड़े!!
मुझे आम आदमी
लगता बंदर
या चिंपाजी है!