अनकही पीड़ा

सुनो! क्या तुम मुझसे अब भी प्यार जताओगे,
ये मेरा विकृत चेहरा क्या अब भी निहार पाओगे,
मेरी खूबसूरती के क़ायल हुये थे ना तुम कभी,
क्या बदसूरती पर भी मेरी तुम कस़ीदे गाओगे।।

क्या कहा था तुमने? मेरी ना को ना सह पाओगे,
अहम् ने ठेस खायी तो क्या ऐसा कृत्य कर जाओगे?
मेरे इनकार का ये प्रतिफल क्यों दिया मुझको,
क्या तुम नजरें मिलाकर मुझे बतलाओगे।।

जिस्म को न पाये तो क्या अब रूह पर हक जताओगे,
मुझे ये बता दो कि अब किसे नया शिकार बनाओगे,
तब हर प्रहर हर घड़ी  मेरा साया बनके फिरते थे तुम,
मेरे पीछे क्या श्मशान तक भी आकर प्यार जताओगे ।।
सुनो! क्या मुझसे अब भी ............


तारीख: 08.04.2024                                    संगीता त्रिवेदी









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