नये विचार

क्यों भाग रहे हो
दौड़ रहे हो
चैन की रोटी
खो रहे हो
जीवन की इस
आपाधापी में
लक्ष्य अपना
भूल गए हो
क्या गम है तुमको
क्या कम है तुमको
जो मिला पर्याप्त है
यही सुयोग्य विचार है
जीवन को यूं ना
व्यस्त करो
कुछ पल खुद पर
खर्च करो
कल की चिंता छोड़ो
आज में तन मन खो लो
जीने के हैं कई आधार
उत्पन्न करो नये विचार
कुछ पाने की
कभी ना सोचो
खोने में ही
प्रेम समेटो
जीवन फिर
तुम्हें सुहाएगा
कोई गम नहीं
सताएगा।


तारीख: 04.03.2024                                    वंदना अग्रवाल निराली









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